Lord shiva story in hindi pdf
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शिव पुराण – Shiv Puran Book PDF Free Download
शिव पुराण की महिमा
व्यासजी कहते हैं- इस हितकर पुराणको बड़े आदर एवं प्रयत्नसे पड़ना तथा सुनना चाहिये।
नास्तिक, श्रद्धाहीन, शठ, महेसरके प्रति भक्तिसे रहित तथा धर्मध्वजी (पाखण्डी) को इसका उपदेश नहीं देना चाहिये। इसका एक बार श्रवण करनेसे ही सारा पाप भरन हो जाता है।
भक्तिहीन भक्ति पाता है और भक्त भक्तिकी समृद्धिका भागी होता है। दोबारा श्रवण करनेपर उत्तम भक्ति और |
तीसरी बार सुननेपर मुक्ति सुलभ हो जाती है, इसलिये मुमुक्षु पुरुषोंको बारंबार इसका || श्रवण करना चाहिये। किसी भी उत्तम |
फलको पानेके लिये शुद्ध-बुद्धिसे इस पुराणकी पाँच आवृत्ति करनी चाहिये। ऐसा करनेसे मनुष्य उस फलको प्राप्त कर लेता है, इसमें संशय नहीं है।
प्राचीन कालके राजाओं, ब्राह्मणों तथा श्रेष्ठ वैश्योंने इसकी सात आवृत्ति करके शिवका साक्षात् दर्शन प्राप्त किया है।
जो मनुष्य भक्तिपरायणा हो इसका श्रवण करेगा, वह भी इहलोकमें सम्पूर्ण भोगोंका उपभोग करके अन्त में मोक्ष प्राप्त कर लेगा।
यह श्रेष्ठ शिवपुराण भगवान् शिवको अत्यन्त प्रिय है। यह वेदके तुल्य माननीय, भोग और मोक्ष देनेवाला तथा भक्तिभावको बढ़ानेवाला है।
अपने प्रमथगणों, दोनों पुत्रों तथा देवी पार्वतीजीके ) साथ भगवान् शंकर इस पुराणके वक्ता और श्रोताका सदा कल्याण करें।
श्री सूतजी बोले-शौनक !
सुनो, मैं तुम्हारे सामने गोपनीय कथावस्तुका भी वर्णन करना; क्योंकि तुम शिव-भक्तोमे अपगण्य तथा वेद वेत्ताओं में श्रेष्ठ हो ।
समुद्र के निकटवर्ती प्रदेश में एक वाष्यकल नामक ग्राम है, जहाँ वैदिक धर्म से विमुख महापापी शिव निवास करते है।
वे सब-के- सब बड़े दुष्ट हैं. उनका मन दूषित विषय- भोगोंमें ही लगा रहता है। बेन देवताओं पर विद्या करते हैं ना भाग्य पर; वे सभी कुटिल वृत्तिवाले हैं किसानी करते और ाँति- भाँतिके घातक अस-शास्त्र रखते आये।
साजन झेंडेवाले न मार ध्मराचने कनक निम्चिपूर्णक | बढ़कर सारा सणाना जान लिया। होने के गान् शिव महिमा अन्य चुनार यो [और नील] यत है।
कहां की वव की। सत्यशात् ये दित्यसूत कैत्णव सेफामरिणी, गये और यहाँ प विचारवाली और व्यधिारिणी हैं बे] ब्राह्मण को सुधासागर साम्बा विश्वके मधोमे सल्व्यवहार तथा सदाचार से सर्वथा शून्य |
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 812 |
Pdf साइज़ | 49.2 MB |
Category | Religious |
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